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Mashhoor│मशहूर │Hindi Poetry │Neeraj Pahuja

मशहूर मैं खुद तो नहीं

मसहूर मेरी बातें हैं

लफ्ज़ मेरे बोले हैं सबकुछ

जब कागज़ पर आते हैं


मशहूर मेरा चेहरा तो नहीं

मशहूर वो तस्वीरें हैं

जिनमें मैं कुछ गुम रहता हूं

माथे पर लकीरे हैं


मशहूर मेरा काम नहीं

मशहूर मेरी हर शाम है

ठंडी हवा और गीत अरिजीत

चढ़ता यही इक जाम है


मशहूर मेरी ज़िन्दगी नहीं

मशहूर मेरी कहानी है

पूरी दुनिया जाने ना

एक दुनिया है जो दीवानी है


मशहूर कहीं पर भोलापन

मशहूर कहीं पर गुस्सा है

बर्ताव मेरा तुम आईना समझो

जो सामने है, वो उसका है ।


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